सोमवार, 13 जुलाई 2015

बचपन से आदर्श

          बचपन व्यक्ति के जीवन का वो प्रथम पड़ाव होता जहा से सामाजिक आवश्यकता की बुनियाद के सपने देखने का अवसर होता है, समाज निर्माण की क्रिया के सपने व्यक्ति परिवार से माता-पिता से और अपने अभिभावक से प्रेरणादायक कहानियों से शुरू होता हैं.
          बचपन में एक बार जो आदर्श बच्चे के जीवन में भर जाते फिर वो जिंदगी भर अनु पालना में व्यतीत करता है, जिस प्रकार एक मेमोरी कार्ड में जो रिकार्डिग हो जाती बस फिर कितना ही स्केनिग करो फिर वो भरा गाना ही बजता है.  
         बचपन में बालक एक कोरे खेत की तरह होता है, जैसे किसी खेत की निराई-गुड़ाई करते है उस में जो खरपतवार को निकाल देते है, जिससे उस खेत की फसल उत्तम होती, ठीक उसी तरह से बच्चों को भी बुरा आचरण को दूर करके अच्छे आचरणों को सिखाना चाहिए. अच्छे सपने दिखने चाहिए. जिससे आप का बालक होनहार योग्य सफल जीवन जी सके .
         बचपन में उस बच्चों प्रतिष्ठित व्यक्ति के सपने देखने चाहिए जिन्होंने सफलता से अपना जीवन को बनाया जिससे उसको सभी जानते हैं, जैसे कोई गरीब बड़ा अमीर बना हो, कोई फ़िल्मी कलाकार अपने बलबूते पर प्रसिद्धि प्राप्त की हो, कोई मशहूर डाक्टर बना हो, कोई सफल व्यवसाय बनकर पैसा कमाया हो इस प्रकार का एक रोल मॉडल होना चाहिएं. जिसका आदर्श मानकर वो बच्चा उन आदर्शों का प्रेषण करता रहे और उसके लिए वैसी शिक्षा के अनुसार उन आदर्शों को ध्यान में रखकर उसकी नकल का अभ्यास करता रहे तो वो भी उसके जैसा आसानी से एक सफल व्यक्ति बन सकता हैं.   

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