पालना और पलना
पालना का शाब्दिक अर्थ होता हैं, किसी एक व्यक्ति से किसी दूसरी संज्ञा हो पोषण प्रदान करना होता है. पलना किसी दूसरे से अपना पोषण करना होता अर्थात दूसरो पर निर्भर होना जैसे बच्चों का अभिभावकों पर निर्भर होना होता हैं, दो व्यक्तियों का आपस में एक के प्रति देना और दूसरे का लेना का आधार होता है. बच्चें जो ज्यातर अपने अभिभावकों से अनावश्यक वस्तुओं की मांग पूर्ति होती रहती है तो उन बच्चों की आत्म निर्भरता युवा होते आदतन एक निर्भरता वादी हो जाते और नशे की प्रवृत्ति में लिप्त हो जाते एवं आलसी हो जाते है . इस प्रकार की आदत का विकास निरन्तरता से इतना विकसित होता जिसका पता लगता तब तक देर हो चुकी होती है.
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