हर अभिभावक को
अपने बच्चे को एक स्वस्थ आहार खिलाना चाहता है, जिसमें खनिज और जैविक
अच्छी मात्रा युक्त हों. लेकिन शक्कर और मीठा [ कार्बोहाइड्रेट ] ऐसी
चीज़ें हैं, फल जिसमे प्राकृतिक रूप से मिठास होती है, वो आप बच्चे को खिला सकते हैं. बचपन से फीका दूध ही पिलाने की आदत डालनी
चाहिए, अगर बच्चे को शुरुआत से
ही शक्कर वाली चीजें खिलाना शुरु कर देंगे तो, उसे साग-सब्जियां, फल या खाली दूध कभी पसंद नहीं आएगा कमजोर व् अल्प रक्त का शिकार बच्चा हो
जाएगा.
6 महीने के बच्चे
के लिए आहार में मीठा खाने में शामिल नही करे अन्यथा अधिक मात्रा में शक्कर खिलाई
गई तो, उसे बचपन का मोटापा और
भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इसलिये
अभिभावक बाजारू उत्पादन खरीद करते समय ध्यान रखने की आदत खुद में रखनी चाहिये कि
वह जब भी बच्चे के लिये कोई भी खाने की चीज़ें खरीदे, तो उसमें लगा हुआ आहार लेबल ज़रुर पढ़ जिस पर कार्बोहाइड्रेट
की मात्रा निम्नस्तर की हो.जैसे - जैम, जैली, टॉफी, सॉस, सीरप या सॉफ्ट ड्रिंक आदि.
कार्बोहाइड्रेट
शक्कर का ही स्वरूप होता हैं, जो ज्यादा सेवन
करने से बच्चे की प्रतिरोध क्षमता कमजोर पड़ने लगती है, जिससे बच्चों को संक्रमण और अन्य बीमारियों घेरने लगती
हैं. अनुसंधान से स्पष्ट पता चलता है कि
जो अभिभावक अपने बच्चों को मीठा खिलाने की आदत डालते हैं, उन बच्चों में आगे चल कर मोटापा, रक्त की कमी, हृदय रोग और मधुमेह जैसे बीमारी होने का खतरा पाया जाता है. अधिक मीठा खाने से दातो में सडन पैदा होती
जिससे दात खराब के साथ साथ, पाचनक्रिया कमजोर
होती हैं.
किसी प्रकार का
तरल आहार में अतिरिक्त शक्कर नहीं मिलाये चाहे फल रसाहार हो, बाजारू आहार जैसे बिस्कुट और कुकीज़ बच्चों
को सीमित मात्राओं में खिलाएं. जैम, जैली, टॉफी, सॉस, सीरप या सॉफ्ट ड्रिंक को अल्प मात्रा में उपयोग करे, खीर, मिल्कशेक या दही
आदि में यथा शक्ति फलों का गूदा मिलाएँ, इससे मिठास आएगी. सब्जी में पानी मिलाकर रोटी के साथ खिलाने की आदत डाले. थोडा
थोडासा तीखापन भी खिलाने की आदत डाले, जिसमें वो कभी कोई खाने में इनकार नहीं करेगा, और स्वस्थ मानसिक के साथ शारीरिक मजबूत बनेगा.
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