शनिवार, 5 जुलाई 2014

सुविधा और संस्कार

सुविधा और संस्कार एक सिक्के के दो पहलू है, और सिक्का दो पहलू से चलता हैं.
बच्चे को सुविधा और संस्कार इन दोनों की आवश्यकता होती हैं. संतुलित सुविधा और संस्कार की बजाय अगर बच्चे को सिर्फ सुविधा ही मिलेंगी तो बच्चे के बिगड़ने की सम्भावना अधिक होगी. जहा तक हो सकें सुविधा कम मिले और संस्कार अधिक मिले तो बच्चे के विकास की उम्मीद ज्यादा बढ़ जाती हैं. संस्कार में अनुशासन होता हैं, केवल सुविधा में भ्रम का आनंद होता हैं, और बच्चा एक बार जब सुविधाओं का भोगी हो जाता हैं, तो फिर भोग का कारण रोग हो जाता हैं, क्योंकि सिखा गया आचरण फिर जल्दी छुटता नहीं हैं. इस लिए बच्चे को पहले अच्छे संस्कार दीजिये तो सुविधाओं के साथ-साथ अच्छा जीवन जी सके. 

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