किसी शिशु
या बालक के वृद्धि और विकास की जीवन यात्रा में सर्वप्रथम अभिभावक की महत्वपूर्ण
योगदान रहता हैं. जितना जागरूक अभिभावक होगा उतना ही अच्छा गुणवान, ज्ञानवान और
धनवान होगा, शिशु अथवा बालक का दूसरा महत्वपूर्ण योगदान शिक्षा देने वाला गुरु का
स्थान होता हैं. तीसरा महत्वपूर्ण स्थान उस शिशु या बालक का होता जो दी जा रही
शिक्षा को ग्रहण करें.
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